श्री यंत्र – वैदिक विधि द्वारा अभिमंत्रित | धन, शांति और समृद्धि का दिव्य स्रोत
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श्री यंत्र को “यंत्रराज” कहा गया है — अर्थात् यह सभी यंत्रों का राजा है।
यह यंत्र देवी महालक्ष्मी का प्रतीक है और धन, सौभाग्य, शांति, एवं आध्यात्मिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त करता है।
श्री यंत्र का निर्माण विशेष ज्यामितीय स्वरूप में होता है, जिसमें शिव और शक्ति का दिव्य संगम निहित है।
इसे धारण या स्थापित करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, आत्मबल, और आर्थिक स्थिरता आती है।
नर्मदेश्वर स्टोर द्वारा प्रस्तुत यह श्री यंत्र आचार्य ज्योतिष डॉ. प्रभात जैन जी के निर्देशन में वैदिक विधि द्वारा अभिमंत्रित किया गया है, ताकि यह साधक के जीवन में पूर्ण प्रभाव दे सके।
“जहाँ श्री यंत्र की स्थापना होती है, वहाँ दरिद्रता, कलह और नकारात्मक ऊर्जा का वास नहीं रहता।”
श्री यंत्र का धार्मिक और वैदिक महत्व
देवी भागवत पुराण, श्री विद्या तंत्र और ललिता सहस्रनाम में श्री यंत्र को अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली बताया गया है।
यह देवी त्रिपुरसुंदरी का दिव्य प्रतीक है और इसमें ब्रह्मांड की सम्पूर्ण सृजन ऊर्जा निहित मानी गई है।
शास्त्रों में कहा गया है कि श्री यंत्र की आराधना करने वाला व्यक्ति जीवन के चारों पुरुषार्थ — धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष — की प्राप्ति करता है।
श्लोक में वर्णन है —
“श्रीचक्रराजं सर्वसिद्धिप्रदं च, त्रैलोक्यपूज्यं त्रिपुरेश्वर्याः प्रियम्।”
(अर्थात् — श्री यंत्र समस्त सिद्धियों को देने वाला है और त्रिपुरसुंदरी देवी को सर्वाधिक प्रिय है।)
श्री यंत्र के प्रमुख लाभ
1. धन और समृद्धि की प्राप्ति:
यह देवी लक्ष्मी का दिव्य प्रतीक है जो साधक को निरंतर धन प्रवाह और स्थिर आर्थिक स्थिति प्रदान करता है।
व्यवसाय या करियर में रुके हुए अवसर पुनः सक्रिय होते हैं।
2. मानसिक शांति और ऊर्जा संतुलन:
श्री यंत्र साधक के आसपास सकारात्मक कंपन उत्पन्न करता है।
यह तनाव, अनिद्रा और अस्थिरता को दूर कर गहरी मानसिक शांति प्रदान करता है।
3. वास्तु दोषों का निवारण:
यदि घर या ऑफिस में ऊर्जा असंतुलन या नकारात्मक प्रभाव हो, तो श्री यंत्र की स्थापना से सभी वास्तु दोष स्वतः दूर हो जाते हैं।
4. आध्यात्मिक उन्नति:
यह यंत्र ध्यान और साधना में एकाग्रता लाता है, जिससे साधक आत्मज्ञान की ओर अग्रसर होता है।
यह आत्मबल, धैर्य और आंतरिक शक्ति को बढ़ाता है।
5. भाग्य और सफलता में वृद्धि:
यह यंत्र जीवन में शुभ संयोगों को आकर्षित करता है और साधक के प्रयासों को सफलता में परिवर्तित करता है।
जो व्यक्ति संघर्ष के बावजूद परिणाम नहीं पा रहा हो, उसके लिए यह यंत्र अत्यंत शुभ है।
श्री यंत्र की स्थापना विधि
• स्थापना के लिए शुक्रवार या अक्षय तृतीया का दिन सर्वोत्तम है।
• स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और यंत्र को गंगाजल या कच्चे दूध से शुद्ध करें।
• इसे घर या दुकान के उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) दिशा में स्थापित करें।
• दीपक जलाकर “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
• हर शुक्रवार देवी लक्ष्मी की आरती के समय दीपक जलाएँ।
उत्पाद विवरण (Product Details)
• सामग्री: तांबे की प्लेट पर सुनहरी फिनिश
• आकार: 8x8 इंच (लकड़ी के फ्रेम सहित)
• अभिमंत्रण: वैदिक विधि द्वारा गुरुजी के निर्देशन में
• उपयुक्त स्थान: घर, तिजोरी, कार्यालय या मंदिर
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श्री यंत्र – वैदिक विधि द्वारा अभिमंत्रित | धन, शांति और समृद्धि का दिव्य स्रोत
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